प्रेम

बदल गया है अब 
तुम्हारा मेरे लिए प्रेम
या बदल गई हूं खुद मैं
एक समय था 
जब नहीं थकते थे तुम
तारीफ करते हुए दिन – रात 
याद है आज भी मुझे
तुम्हारे वे खूबसूरत बोल
जिन्हें सुन कर मैं 
हो जाती थी तुम्हारी दीवानी 
ये चांद सा मेरा चेहरा
मलाई जैसा रंग
जब तुम थामते थे 
मेरा ये गोल चेहरा
अपनी हथेलियों के बीच
और चूम लेते थे मेरा माथा
चूंकि तुमको पसंद थी मेरी
सुघड़ गोल छातियां 
तुम्हारी पसंद की खातिर 
करा ली थी सर्जरी
तुम्हारे प्रेम की खातिर
बदल दिया मैंने खुद को
पर अब तुमको क्या हुआ? 
क्यों बदल गया तुम्हारा प्रेम
अब तुम कहते हो 
मुझमें नहीं रहा कोई रस…
न ही रही कोई अदा

बदल गई हूं मैं
और बदल गया है मेरा शरीर
आ गईं हैं चेहरे पर झुर्रियां
चाल में नहीं रही वो अदा
न ही रहा छातियों में कसाव
पूछती हूं मैं तुमसे ही
जरा बतला कर जाओ
क्या बदल गया है मेरा प्रेम?
या बदल गई है मेरी आत्मा?
मेरे लिए तो तुम आज भी हो
दुनिया के सबसे खूबसूरत इंसान
मैंने छोड़ा था तुम्हारे लिए
अपना घर -परिवार
आज तुमने ही छोड़ दिया
मुझे न जाने किस पार…