वेश्या

बदनाम हैं सिर्फ वही स्त्रियां 
जो कमाती हैं पैसा
बेचकर अपना शरीर 
जो मिटाती हों किसी के तन की भूख
पूछती हूँ मैं इस दुनिया से 
क्या गलत किया था 
उस दिन मैंने
जो दिया गया था मुझे ही
चरित्रहीन का नाम??

बिलख रहे थे उस रात 
कोठरी में मेरे बच्चे
भूख की उठती पीड़ा से
मांग बैठी थी मैं 
भीख उस अमीरजादे से
दूध भरी उन मासूम  
आंखों की खातिर
हो गयी थी मैं मजबूर
सोने के लिए 
साथ उसके बिस्तर पर
सिर्फ मैंने नहीं त्यागे थे 
अपने वस्त्र
उस रात त्यागे थे 
उसने भी अपने वस्त्र
मजबूर थी मैं पेट की खातिर
और वो मजबूर था 
अपनी प्यास की खातिर
पर इस जालिम दुनिया ने
मुझे ही क्यों दिया था 
वेश्या का नाम? 

क्यों सही है ईटा ढोना
बर्तन मांजना, झाड़ू लगाना ?
क्यों गलत है सेक्स करना? 
किया था हम दोनों ही स्त्रियों ने
अपने शरीर का इस्तेमाल
दोनों कामों की तुलना में
देखा गया उसके काम को
सम्मान भरी नज़रो से
वहीं देखा गया मेरे काम को
अपमान और घृणा की नजरों से।